राम के नाम पर लूट

बात है करीब १ सप्ताह पहले की मैं श्री रामचरितमानस का पाठ  करने के लिए सहीद मीनार, कोलकाता गया हुआ था. कुछ कारनवस मैं २ बजे पंडाल से बाहर निकल रहा था . एक अधेड़आदमी ने पीछे से आ के मेरा हाथ पकर लिया मैं रूक गया , सोचा क्या हुआ. अचानक उसने मेरे सामने हाथ जोर कर कुछ खिलाने के लिए कहा. मैं सोचा सायद ये बुजर्ग आदमीं कुछ तकलीफ में है मैंने उन्हें ले जा कर एक कुर्सी पर बैठ्या और उन्हें ला कर ४ पूरी सब्जो खिलाया . कुछ ही देर में पूरी का पटल का फेकने का समय आ गया . मैंने उसे पानी पिलाया और फिर पूछा बोलिए आपको क्या तकलीफ है.

उसने मुझे ढेर सारे  धन्यवाद दिए संस्कृत और हिंदी के कुछ कटिन वाक्यों में . मुझे लगा ये आदमीं तो बार ज्ञानी है . सायद समय ने इसका ये समय ला दिया है. समय का चक्का कुछ भी कर सकता है . फिर उसने मुझे बताया की वे किसी विद्यालय में हिंदी के शिक्षक थे. रिटायरमेंट के बाद उनके पुत्र का कोई बार ऑपरेशन हुआ अब उनकी परस्थिथि सही नहीं है. मैंने उनका  हौसला बढाया और कहा की पैसा खतम हो जाता है ज्ञान नहीं. आपका ये ज्ञान बहुत किमिति है. आप अगर कुछ काम करना चाहे तो कर सकते है.मै दिला दूंगा . इस बात को सुन के उनके चेहरे पर खुशी की लहर आ गई. मैंने उन्हें एक टाइम दे दिया की आप आकार अपना काम  ज्वाइन कर लेना.

लेकिन अब समय हो चला था अलविदा कहने का मैंने कहा ठीक है आप समय से चले जाना. फिर वो बुजर्ग आदमी  ने मुझसे कहा बेटा अगर तुम मुझे अभी कुछ पैसा दे देते तो मेरे लिए किराया  हो जाता मैंने कुछ पैसा दे दिया ताकी वो बेचारा जा सके . वो वृद्ध  आदमी  तो वहा से निकल गए अपने घर के लिए लेकिन अगले दिन वो आये नहीं. तब मुझे समज  में आया की ये सब ज्ञान नहीं ज्ञान का ढ़ोंग था. वो आदमी नहीं आया. अगर वो आदमी इस बात को पढ़ रहा है तो प्लीज मुझसे मिले और मेरे रजा राम के आस्था को चोट पहुचने से बचाये.

धन्यवाद  चन्दन

Share this post

PinIt
submit to reddit

Leave a Reply

scroll to top